एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 दुर्घटना की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट को लेकर अंतरराष्ट्रीय मीडिया में चल रही खबरों पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। FIP ने प्रतिष्ठित मीडिया संस्थानों वॉल स्ट्रीट जर्नल और रॉयटर्स पर भ्रामक खबरें चलाने का आरोप लगाते हुए इन दोनों को कानूनी नोटिस जारी किया है।
नई दिल्ली: एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 के दर्दनाक हादसे के बाद फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स (FIP) ने वैश्विक मीडिया संस्थानों वॉल स्ट्रीट जर्नल (WSJ) और Reuters पर भ्रामक और गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग का आरोप लगाते हुए कानूनी नोटिस भेजा है। पायलट्स फेडरेशन का कहना है कि इन अंतरराष्ट्रीय मीडिया प्लेटफॉर्म्स ने बिना किसी आधिकारिक निष्कर्ष के पायलट्स को गलत तरीके से दोषी ठहराने की कोशिश की है, जिससे भारतीय पायलटों की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
क्या है मामला?
एयर इंडिया की फ्लाइट AI-171 के दुर्घटनाग्रस्त होने के मामले की प्रारंभिक जांच रिपोर्ट भारत की एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (AAIB) ने तैयार की है। इस हादसे में 250 से अधिक लोगों की जान गई थी। इसी रिपोर्ट को लेकर WSJ और Reuters ने खबरें प्रकाशित कीं, जिनमें पायलट्स की कथित लापरवाही को दुर्घटना के संभावित कारण के तौर पर पेश किया गया।
इन्हीं खबरों को लेकर FIP अध्यक्ष कैप्टन सीएस रंधावा ने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने कहा, WSJ ने अपनी ओर से मनगढ़ंत निष्कर्ष निकालकर दुनियाभर में फैला दिए। क्या वे कोई आधिकारिक जांच एजेंसी हैं? जब शुरुआती रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं लिखा गया तो वे किस आधार पर इस तरह की रिपोर्टिंग कर सकते हैं? इससे भारतीय पायलट्स की छवि को भारी नुकसान हुआ है।
'माफी मांगे WSJ और Reuters' - पायलट्स फेडरेशन
फेडरेशन ऑफ इंडियन पायलट्स ने स्पष्ट कहा है कि WSJ और Reuters को इस गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगनी चाहिए और स्पष्टीकरण देना चाहिए। यदि ऐसा नहीं किया गया तो फेडरेशन आगे की कानूनी कार्रवाई के लिए बाध्य होगा। कैप्टन रंधावा ने कहा, हमने स्पष्ट कर दिया है कि यदि WSJ और Reuters माफी नहीं मांगते और अपने गलत रिपोर्टिंग के लिए सार्वजनिक तौर पर स्पष्टीकरण नहीं देते, तो हम उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेंगे।”
अमेरिका की नेशनल ट्रांसपोर्टेशन सेफ्टी बोर्ड (NTSB) की चेयरवुमन जेनिफर होमेंडी ने भी WSJ और Reuters की रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताई है। उन्होंने कहा, इतनी बड़ी विमान दुर्घटना की जांच में समय लगता है। मीडिया को अनुमान और जल्दबाजी में रिपोर्टिंग करने से बचना चाहिए और AAIB की आधिकारिक रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए। FIP ने NTSB के इस बयान का स्वागत किया और कहा कि इससे भारतीय पायलट्स के खिलाफ लगाए जा रहे बेबुनियाद आरोपों पर विराम लगेगा।
पायलट्स की छवि को नुकसान पहुंचाने का आरोप
FIP अध्यक्ष रंधावा का कहना है कि WSJ और Reuters की भ्रामक रिपोर्टिंग ने न केवल भारतीय पायलट्स की प्रतिष्ठा पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि इससे भारत की एविएशन इंडस्ट्री की साख को भी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने यह भी कहा कि इस तरह की गैर-जिम्मेदाराना रिपोर्टिंग से पायलट्स का मनोबल गिरता है, जबकि अभी जांच प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। रंधावा ने कहा कि ऐसे मीडिया संस्थानों को चाहिए कि वे सिर्फ तथ्यों के आधार पर रिपोर्टिंग करें, न कि कयासों और अफवाहों के आधार पर।
बता दें कि एयर इंडिया फ्लाइट AI-171 19 मई, 2025 को दुर्घटनाग्रस्त हो गई थी। इस भयावह हादसे में 250 से ज्यादा यात्रियों और क्रू की मौत हो गई थी। हादसे की विस्तृत जांच भारत की एएआईबी कर रही है और अभी तक कोई फाइनल रिपोर्ट जारी नहीं हुई है। सरकारी एजेंसियों का कहना है कि जांच तकनीकी पहलुओं, इंसानी भूल और अन्य संभावित कारणों को ध्यान में रखकर की जा रही है और अंतिम रिपोर्ट आने तक किसी भी तरह की अटकलें लगाना अनुचित है।