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‘डेड इकोनॉमी’ विवाद! हिमंत बिस्वा ने राहुल गांधी को बताया भारत विरोधी

‘डेड इकोनॉमी’ विवाद! हिमंत बिस्वा ने राहुल गांधी को बताया भारत विरोधी

राहुल गांधी ने डोनाल्ड ट्रंप के भारत को 'बर्बाद अर्थव्यवस्था' कहने वाले बयान से सहमति जताई। इस पर हिमंत बिस्वा सरमा ने उन्हें भारत विरोधी बताया और कहा कि वह देश की छवि को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खराब कर रहे हैं।

New Delhi: असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए कहा है कि वह सिर्फ भाजपा विरोधी नहीं बल्कि भारत विरोधी भी हैं। उनका यह बयान राहुल गांधी द्वारा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर की गई टिप्पणी का समर्थन करने के बाद आया है। सरमा का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की छवि सुधारने में लगे हैं, जबकि राहुल गांधी देश को बदनाम करने में लगे हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति की टिप्पणी और राहुल गांधी की प्रतिक्रिया

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत की अर्थव्यवस्था को "बर्बाद" करार दिया। उन्होंने सोशल मीडिया पर कहा कि भारत और रूस दोनों अपनी बर्बाद अर्थव्यवस्थाओं को गर्त में ले जा रहे हैं और उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है। इसी संदर्भ में कांग्रेस सांसद और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने इस बयान का समर्थन करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को छोड़कर हर कोई जानता है कि भारत की अर्थव्यवस्था वास्तव में बर्बाद हो चुकी है।

हिमंत बिस्वा सरमा का पलटवार

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी के इन बयानों को राष्ट्र विरोधी करार दिया। उन्होंने कहा कि पिछले 7 दिनों में राहुल गांधी खुद को जनता के सामने पूरी तरह उजागर कर चुके हैं। अब यह साफ हो गया है कि वह सिर्फ भाजपा के नहीं, बल्कि देश के भी विरोधी हैं।

सरमा ने कहा, “जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी वैश्विक स्तर पर भारत की प्रतिष्ठा बढ़ा रहे हैं, अलग-अलग देशों के साथ रणनीतिक और आर्थिक साझेदारियों को मजबूत कर रहे हैं, उस समय राहुल गांधी विदेशों में भारत की आलोचना करके देश को कमजोर करने की कोशिश कर रहे हैं।”

सरमा ने राहुल पर लगाए गंभीर आरोप

हिमंत बिस्वा सरमा ने राहुल गांधी पर राष्ट्रहित की उपेक्षा करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इस प्रकार के बयान न केवल भारत की आर्थिक साख को नुकसान पहुंचाते हैं बल्कि विदेशी निवेशकों के मन में भी भ्रम पैदा करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत की आर्थिक नीतियों और प्रदर्शन की आलोचना संसद के मंच पर की जा सकती है, लेकिन विदेशी नेताओं के पक्ष में खड़ा होकर भारत की आलोचना करना उचित नहीं है।

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