भाजपा ने पूर्वांचलियों को साधने के लिए माइक्रो मैनेजमेंट अपनाया, बिहार और पूर्वी यूपी के नेताओं को विधानसभा क्षेत्रों में मतदाताओं से संवाद करने की जिम्मेदारी दी।
Delhi Vidhan Sabha Chunav 2025: दिल्ली में आगामी विधानसभा चुनाव 2025 के मद्देनजर भाजपा ने पूर्वांचलियों को साधने के लिए एक खास रणनीति तैयार की है। पार्टी ने माइक्रो मैनेजमेंट का सहारा लेते हुए बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के नेताओं को विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है। इन नेताओं को पूर्वांचली मतदाताओं के साथ सीधा संवाद करने और भाजपा के प्रति उनके शंकाओं को दूर करने का निर्देश दिया गया है।
पूर्वांचली मतदाताओं की निर्णायक भूमिका

दिल्ली की 70 विधानसभा सीटों में से 15-20 सीटों पर पूर्वांचली मतदाता निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भाजपा ने 51 ऐसी सीटों की पहचान की है, जहां पूर्वांचली मतदाता हार-जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकते हैं। इन सीटों पर भाजपा ने रणनीति के तहत दो पूर्वांचली नेताओं (एक बिहार और एक उत्तर प्रदेश) को उतारने का निर्णय लिया है।
भा.ज.पा. नेताओं की बैठक और समन्वय की जिम्मेदारी
भा.ज.पा. के महासचिव बीएल संतोष ने गुरुवार को दिल्ली और बिहार से आए नेताओं के साथ बैठक की। बैठक में इन नेताओं को अपने-अपने क्षेत्रों में पूर्वांचली मतदाताओं के साथ संवाद स्थापित करने और भाजपा के प्रति उनकी शंकाओं को दूर करने का निर्देश दिया गया। साथ ही, पूर्वांचल के कम उम्मीदवारों को पार्टी टिकट मिलने से उत्पन्न नाराजगी को दूर करने की जिम्मेदारी भी दी गई है।
पूर्वांचलियों की नाराजगी और पार्टी की कोशिशें

दिल्ली में पूर्वांचलियों की संख्या लगभग 40% है, लेकिन भाजपा ने सिर्फ चार सीटों - लक्ष्मीनगर, किराड़ी, संगम विहार और विकासपुरी में ही पूर्वांचलियों को उम्मीदवार बनाया है। इसके अलावा, दो सीटें जदयू और लोजपा को दी गई हैं, जिससे पार्टी के पूर्वांचली नेताओं और कार्यकर्ताओं में नाराजगी उत्पन्न हुई है। पार्टी का उद्देश्य इस नाराजगी को समय रहते दूर करना और नाराज नेताओं को चुनावी प्रचार में शामिल करना है, ताकि यह संदेश न जाए कि भाजपा पूर्वांचलियों को अनदेखा कर रही है।
दुष्प्रचार को खत्म करने की जिम्मेदारी
बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश से आए नेताओं पर मुख्य रूप से पूर्वांचल के आम लोगों के बीच फैलाए जा रहे दुष्प्रचार को दूर करने की जिम्मेदारी होगी। इन नेताओं को तीन फरवरी तक दिल्ली में अपने-अपने क्षेत्रों में प्रवास करना होगा, ताकि भाजपा की छवि को मजबूत किया जा सके और मतदाताओं का विश्वास जीत सकें।













