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Delhi: सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत, कोर्ट ने भ्रष्टाचार केस में CBI की क्लोजर रिपोर्ट को दी मंजूरी

Delhi: सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत, कोर्ट ने भ्रष्टाचार केस में CBI की क्लोजर रिपोर्ट को दी मंजूरी

AAP नेता सत्येंद्र जैन को बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने PWD में कथित अनियमितताओं से जुड़े भ्रष्टाचार मामले को सबूतों के अभाव में बंद करने की CBI की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है।

Satyendar Jain: आम आदमी पार्टी (AAP) के वरिष्ठ नेता और दिल्ली सरकार में पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन को बड़ी कानूनी राहत मिली है। राउज एवेन्यू स्थित एक विशेष अदालत ने सोमवार को उनके खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के एक मामले में CBI द्वारा दायर क्लोजर रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। यह मामला PWD (Public Works Department) में नियमों के खिलाफ प्रोफेशनल्स की नियुक्ति से जुड़ी कथित अनियमितताओं से संबंधित था। कोर्ट के फैसले के बाद सत्येंद्र जैन को उस केस में पूरी तरह से बरी कर दिया गया है।

कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट को क्यों स्वीकार किया

सीबीआई की ओर से दाखिल की गई अंतिम रिपोर्ट में कहा गया था कि मामले की विस्तृत जांच के बावजूद सत्येंद्र जैन या किसी अन्य PWD अधिकारी के खिलाफ कोई ऐसा ठोस साक्ष्य नहीं मिला जिससे उन्हें भ्रष्टाचार निरोधक कानून (PC Act, 1988) के तहत आरोपी ठहराया जा सके।

कोर्ट ने भी अपने आदेश में इस बात को रेखांकित किया कि रिकॉर्ड पर उपलब्ध तथ्यों और जांच के दौरान सामने आई परिस्थितियों के आधार पर कोई ऐसा साक्ष्य नहीं है जो अभियुक्तों के खिलाफ अभियोजन की मांग करता हो। अदालत ने कहा कि किसी व्यक्ति पर केवल संदेह के आधार पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता, बल्कि उसके लिए प्रबल साक्ष्य होना आवश्यक है।

जांच के लंबे समय बाद भी नहीं मिला कोई ठोस साक्ष्य

CBI ने कई वर्षों तक इस मामले की जांच की, लेकिन एजेंसी को ऐसा कोई प्रमाण नहीं मिला जिससे यह साबित हो सके कि नियुक्तियों में भ्रष्टाचार या सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है। अदालत ने यह भी कहा कि किसी भी प्रकार का आपराधिक षड्यंत्र साबित करने के लिए जरूरी आधारभूत सामग्री भी उपलब्ध नहीं है।

PWD में नियुक्तियों को लेकर था मामला

यह मामला उस समय दर्ज किया गया था जब सत्येंद्र जैन दिल्ली के PWD मंत्री थे। आरोप था कि उन्होंने विभागीय नियमों को ताक पर रखकर कुछ प्रोफेशनल्स की नियुक्ति की थी। आरोप के मुताबिक ये नियुक्तियां टेंडर प्रक्रिया और अन्य निर्धारित नियमों के विपरीत थीं। हालांकि, अब अदालत के फैसले के बाद यह साफ हो गया है कि इन नियुक्तियों में कोई आपराधिक मंशा या घोटाले जैसा तत्व नहीं पाया गया है।

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