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दिल्ली में ईडी की रेड, फर्जी कॉल सेंटर से 100 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़

दिल्ली में ईडी की रेड, फर्जी कॉल सेंटर से 100 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़

दिल्ली में ईडी ने फर्जी कॉल सेंटर पर छापा मारकर 100 करोड़ की ठगी का भंडाफोड़ किया। विदेशी नागरिकों को तकनीकी सहायता के नाम पर ठगा गया।

Scam Call: दिल्ली के खानपुर इलाके में चल रहे एक हाई-प्रोफाइल फर्जी कॉल सेंटर पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार रात बड़ी कार्रवाई की। यह ऑपरेशन 31 जुलाई की रात लगभग 10:30 बजे शुरू हुआ और 1 अगस्त की सुबह तक चला। ईडी की इस छापेमारी ने एक ऐसे संगठित नेटवर्क का पर्दाफाश किया है, जो बीते आठ वर्षों से विदेशी नागरिकों के साथ डिजिटल ठगी कर रहा था। जांच में खुलासा हुआ है कि इस गिरोह ने अब तक करीब 100 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी की है।

तीन ठिकानों पर रेड, तकनीक का दुरुपयोग कर रहे थे आरोपी

ईडी की टीम ने दिल्ली के खानपुर में स्थित तीन ठिकानों पर एक साथ छापेमारी की। इन सभी ठिकानों पर फर्जी कॉल सेंटर चलाए जा रहे थे, जहां प्रशिक्षित एजेंट विदेशी नागरिकों, खासकर अमेरिका, कनाडा और यूरोपीय देशों के लोगों को निशाना बना रहे थे। कॉल सेंटर से एजेंट खुद को टेक्निकल सपोर्ट एग्जीक्यूटिव बताकर Microsoft, Apple और अन्य नामी कंपनियों के प्रतिनिधि के रूप में पेश करते थे।

इन एजेंटों द्वारा इस्तेमाल किए गए सॉफ्टवेयर्स भी काफी उन्नत थे। वे रिमोट एक्सेस टूल्स जैसे TeamViewer, AnyDesk के माध्यम से पीड़ितों के कंप्यूटर तक पहुंच बनाते और उन्हें यह विश्वास दिलाते कि उनका सिस्टम वायरस से संक्रमित है, जिसे ठीक करने के लिए 'लाइसेंस्ड सॉफ्टवेयर' खरीदना जरूरी है। असल में ये सॉफ्टवेयर या तो फर्जी होते या फिर इंटरनेट से मुफ्त में उपलब्ध पायरेटेड टूल्स होते।

2016 से जारी था साइबर जाल, विदेशी नागरिक बने शिकार

ईडी की शुरुआती जांच में यह बात सामने आई है कि यह ठगी साल 2016-17 से लेकर 2024-25 तक बेरोकटोक चलती रही। इस दौरान आरोपियों ने अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों में रहने वाले हजारों लोगों को फंसाकर 100 करोड़ रुपये से ज्यादा की रकम अपने खाते में ट्रांसफर करवाई। फर्जी कॉल सेंटर में काम करने वाले एजेंटों को बाकायदा प्रशिक्षण दिया जाता था। उन्हें अंग्रेजी भाषा में पारंगत बनाया जाता और स्क्रिप्ट्स भी दी जाती थीं, जिनके जरिए वे पीड़ितों को मनोवैज्ञानिक दबाव में लेकर अपनी योजना को अंजाम देते थे।

मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए सफेद किए गए काले पैसे

जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपियों ने इस ठगी से कमाए गए धन को मनी लॉन्ड्रिंग के जरिए अलग-अलग माध्यमों से सफेद किया। रकम को पहले डिजिटल वॉलेट्स में ट्रांसफर किया गया, फिर इसे बिटकॉइन, गिफ्ट कार्ड्स और हवाला नेटवर्क के जरिए भारत लाया गया। दिल्ली-एनसीआर के अलावा हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश में भी इस नेटवर्क के फैलाव की संभावना जताई जा रही है।

जुलाई में भी सामने आया था ऐसा ही मामला

दिल्ली पुलिस ने जुलाई 2025 में भी एक ऐसे ही फर्जी कॉल सेंटर का भंडाफोड़ किया था, जिसमें बैंक कर्मचारी बनकर धोखाधड़ी करने वाले 11 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था। उन्होंने देश भर में 100 से अधिक लोगों को ठग कर करीब 40 लाख रुपये की ठगी की थी। इस मामले में एक पीड़ित संजय कुमार की शिकायत पर जांच शुरू हुई थी, जिनके क्रेडिट कार्ड से 33,000 रुपये निकाल लिए गए थे। उन्हें एक कस्टमर केयर प्रतिनिधि के रूप में कॉल कर कार्ड की लिमिट बढ़ाने का झांसा दिया गया था।

पलवल पुलिस की भी बड़ी कार्रवाई

पलवल के एएसपी शुभम सिंह ने बताया था कि गिरफ्तार आरोपी बैंक अधिकारी बनकर पीड़ितों से ओटीपी लेकर उनके कार्ड से पैसे निकालते और फिर अलग-अलग वॉलेट्स के जरिए उन्हें सीएससी (कॉमन सर्विस सेंटर) से नकद में निकालते थे। इस नेटवर्क में शामिल आरोपी—प्रदीप, मोहित, वीरेंद्र, रोहित, साक्षी, सुशबू, अविष्का, साहिल, साहिब, आयुष और नितिन—दिल्ली के विभिन्न इलाकों के निवासी हैं।

ईडी की कार्रवाई से मचा हड़कंप, आगे और खुलासों की उम्मीद

ईडी द्वारा की गई छापेमारी के बाद फर्जी कॉल सेंटर गिरोह में खलबली मच गई है। सूत्रों के अनुसार इस कार्रवाई में कई डिजिटल उपकरण, लैपटॉप, हार्ड डिस्क, मोबाइल फोन और दस्तावेज जब्त किए गए हैं, जिनकी फॉरेंसिक जांच की जा रही है। ईडी के अधिकारी मानते हैं कि यह गिरोह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर काम कर रहा था और इसमें विदेशों में बैठे सहयोगियों की भी भूमिका हो सकती है। मामले में FEMA और PMLA के तहत केस दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जा रही है।

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