महाराष्ट्र सरकार में देर रात हुए एक अहम फेरबदल में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (अजित पवार गुट) के नेता माणिकराव कोकाटे को कृषि मंत्री पद से हटाकर खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंप दी गई है।
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र सरकार में एक बार फिर बड़ा राजनीतिक फेरबदल देखने को मिला है। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी - अजित पवार गुट) के वरिष्ठ नेता माणिकराव कोकाटे से कृषि मंत्री का कार्यभार वापस ले लिया गया है। अब उन्हें खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय और अल्पसंख्यक विकास व औकाफ विभाग का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। वहीं, मौजूदा खेल मंत्री दत्तात्रेय भरणे को राज्य का नया कृषि मंत्री नियुक्त किया गया है।
यह बदलाव महाराष्ट्र सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग (GAD) द्वारा जारी एक आधिकारिक अधिसूचना के जरिए देर रात किया गया, जिसे सरकार की छवि सुधारने और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दिशा में उठाया गया कदम माना जा रहा है।
क्यों छीना गया कृषि मंत्रालय?
माणिकराव कोकाटे हाल ही में विवादों में आ गए थे जब महाराष्ट्र विधान परिषद की कार्यवाही के दौरान उनका एक वीडियो वायरल हुआ। इस वीडियो में कोकाटे विधानसभा सत्र के बीच अपने मोबाइल फोन पर ऑनलाइन 'रमी गेम' खेलते हुए दिखाई दिए। यह वीडियो शरद पवार गुट के विधायक रोहित पवार और जितेंद्र आव्हाड द्वारा सोशल मीडिया पर साझा किया गया, जिससे राजनीतिक गलियारों में तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं।
यह पहला अवसर नहीं है जब कोकाटे विवादों में घिरे हों। इससे पहले भी उन्होंने एक बयान में किसानों की तुलना "भिखारियों" से कर दी थी, जिससे जनाक्रोश और राजनीतिक विरोध काफी बढ़ गया था।
नए मंत्रालयों की जिम्मेदारी
अब कोकाटे को कृषि मंत्रालय से हटाकर राज्य के खेल एवं युवा कल्याण मंत्रालय की जिम्मेदारी दी गई है। इसके साथ-साथ उन्हें अल्पसंख्यक विकास और औकाफ विभाग का भी प्रभार सौंपा गया है। यह विभाग सामाजिक और धार्मिक अल्पसंख्यकों से जुड़ी योजनाओं, सुविधाओं और औकाफ संपत्तियों के प्रबंधन के लिए जिम्मेदार होता है।
इस फेरबदल के तहत दत्तात्रेय भरणे, जो कि पुणे जिले के इंदापुर से विधायक हैं, को कृषि मंत्रालय सौंपा गया है। भरणे इससे पहले खेल मंत्री के रूप में कार्यरत थे। वे भी उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व वाले एनसीपी गुट से जुड़े हुए हैं।
पार्टी की साख बचाने की कोशिश
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला पार्टी और सरकार की साख बचाने की एक रणनीति का हिस्सा है। सरकार यह संदेश देना चाहती है कि अनुशासनहीनता और गैर-जिम्मेदाराना व्यवहार के लिए कोई स्थान नहीं है, चाहे नेता कितना ही वरिष्ठ क्यों न हो। इससे पहले, इसी साल एनसीपी नेता धनंजय मुंडे को भी अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा था, जब उनके करीबी सहयोगी वाल्मीक कराड को एक हत्या मामले में मुख्य आरोपी बनाया गया था। इन घटनाओं ने पार्टी के भीतर जवाबदेही और नैतिकता को लेकर कई सवाल खड़े किए थे।
विपक्षी दलों, विशेषकर शरद पवार गुट, ने इस पूरे प्रकरण को लेकर सत्तारूढ़ गुट पर जमकर निशाना साधा है। रोहित पवार ने कहा कि जो नेता किसानों की तुलना भिखारियों से करें और सदन की गरिमा को रमी गेम खेलकर ठेस पहुंचाएं, उन्हें सत्ता में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है।