Pune

दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विशेष अधिकारियों में हुई हाथापाई, अंजनेय का गंभीर आरोप

दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विशेष अधिकारियों में हुई हाथापाई, अंजनेय का गंभीर आरोप

कर्नाटक की राजनीति में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के बीच चल रही खींचतान अब और तेज़ हो गई है। अब यह विवाद राज्य की सीमाओं को पार कर दिल्ली तक पहुंच गया है।

नई दिल्ली: कर्नाटक की राजनीति की गरमाहट अब राज्य की सीमाओं से बाहर निकलकर देश की राजधानी दिल्ली तक पहुँच गई है। दिल्ली स्थित कर्नाटक भवन में राज्य के मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के विशेष ड्यूटी अधिकारियों (SDO) के बीच जमकर विवाद हो गया। यह मामला इतना बढ़ गया कि एक पक्ष ने मारपीट और अपमान के गंभीर आरोप लगाते हुए विभागीय और आपराधिक कार्रवाई की मांग कर दी है।

यह विवाद उस समय भड़क उठा जब कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के SDO सी. मोहन कुमार और उपमुख्यमंत्री डी.के. शिवकुमार के SDO एच. अंजनेय के बीच तीखी बहस छिड़ गई। मामला जुबानी जंग से शुरू होकर शारीरिक झड़प तक पहुँच गया, जिसके बाद पूरे घटनाक्रम को लेकर दिल्ली पुलिस और कर्नाटक प्रशासन को सूचित किया गया है।

मामले की जड़: महिला कर्मचारी से अभद्रता के आरोप

सूत्रों के मुताबिक, विवाद की शुरुआत तब हुई जब एक महिला कर्मचारी ने उपमुख्यमंत्री के SDO एच. अंजनेय पर अपमानजनक व्यवहार का आरोप लगाया। इस मामले में मुख्यमंत्री के SDO मोहन कुमार ने हस्तक्षेप करते हुए अंजनेय से इस व्यवहार को लेकर सवाल किए। यहीं से दोनों के बीच बहस छिड़ गई, जो कुछ ही देर में बदतमीजी और हाथापाई में तब्दील हो गई।

'मुझे जूतों से मारा गया', अंजनेय का गंभीर आरोप

उपमुख्यमंत्री के अधिकारी एच. अंजनेय ने इस पूरे घटनाक्रम के बाद एक आधिकारिक शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा, "कर्नाटक भवन में मेरे साथ अभद्र व्यवहार किया गया। मुझे जूतों से मारा गया, जिससे मेरी गरिमा को गहरी ठेस पहुंची है। मैं मांग करता हूं कि सी. मोहन कुमार के खिलाफ विभागीय जांच हो और उन पर आपराधिक मामला दर्ज किया जाए। उनका यह आरोप न केवल गंभीर है, बल्कि यह राज्य सरकार के भीतर चल रही आंतरिक खींचतान को भी उजागर करता है।

विवाद में आरोपी बनाए गए मुख्यमंत्री के SDO सी. मोहन कुमार की ओर से अब तक कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है। हालांकि, कर्नाटक भवन में मौजूद कुछ कर्मचारियों ने माना कि दोनों अधिकारियों के बीच बहस काफी तीखी थी और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गई थी। कर्मचारियों ने बताया कि स्थिति को शांत कराने के लिए सुरक्षा कर्मियों को बीच-बचाव करना पड़ा।

राजनीतिक पृष्ठभूमि में बढ़ती तकरार

विशेषज्ञों का मानना है कि यह विवाद महज दो अधिकारियों के बीच की झड़प नहीं है, बल्कि यह मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के बीच लंबे समय से चल रही राजनीतिक खींचतान की एक कड़ी हो सकती है। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार बनने के बाद से ही दोनों नेताओं के बीच सत्ता और निर्णय लेने को लेकर मतभेद की खबरें आती रही हैं।

इस घटना ने इन मतभेदों को एक सार्वजनिक और प्रशासनिक विवाद का रूप दे दिया है, जिससे राज्य सरकार की छवि को भी नुकसान पहुँच सकता है। यह घटना ऐसे समय सामने आई है जब सरकारें राज्यों के प्रतिनिधि भवनों को अपनी प्रशासनिक और सांस्कृतिक छवि के प्रतीक के रूप में प्रस्तुत करती हैं। दिल्ली जैसे संवेदनशील स्थान पर इस तरह की घटना न केवल कर्नाटक भवन की गरिमा पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि यह एक राज्य की राजनीतिक व्यवस्था पर भी कटाक्ष करती है।

Leave a comment