हरियाणा कांग्रेस ने 11 साल बाद संगठन पुनर्गठन कर 32 जिलाध्यक्ष नियुक्त किए। ज्यादातर नए चेहरे और फील्ड में सक्रिय कार्यकर्ताओं को मौका मिला। जातीय संतुलन साधा गया, हुड्डा खेमे का दबदबा बरकरार रहा।
Haryana Congress: हरियाणा कांग्रेस में लंबे इंतजार के बाद आखिरकार संगठन का पुनर्गठन हो गया है। लगभग 11 साल बाद पार्टी ने 32 जिलाध्यक्षों की सूची जारी कर दी है। खास बात यह है कि इस बार बड़े और दिग्गज नेताओं को दरकिनार कर फील्ड में लगातार सक्रिय, मेहनती और जमीनी कार्यकर्ताओं को जिलाध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह कदम न केवल संगठन में नई ऊर्जा भरने की कोशिश है, बल्कि कांग्रेस हाईकमान का यह संदेश भी है कि पार्टी अब केवल चुनावी टिकट पाने वाले चेहरों पर नहीं, बल्कि संगठनात्मक ताकत बढ़ाने वालों पर ध्यान देगी।
लंबा इंतजार और तैयारियां
हरियाणा कांग्रेस में जिलाध्यक्षों के पद लंबे समय से खाली थे। संगठन के पुनर्गठन को लेकर कार्यकर्ताओं और नेताओं के बीच लंबे समय से चर्चा चल रही थी। पार्टी हाईकमान ने प्रदेश के सभी जिलों के लिए 22 केंद्रीय पर्यवेक्षक नियुक्त किए थे, जिनका काम था फील्ड में जाकर सक्रिय नेताओं की रिपोर्ट तैयार करना।
इन पर्यवेक्षकों ने प्रत्येक जिले से 6-6 नामों के पैनल तैयार किए। फिर इन नामों पर प्रदेश नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व के बीच कई दौर की बातचीत हुई। सूची को अंतिम रूप देने से पहले जातीय और राजनीतिक संतुलन का विशेष ध्यान रखा गया।
33 जिले, 32 की घोषणा
हरियाणा में प्रशासनिक तौर पर 22 जिले हैं, लेकिन कांग्रेस ने संगठनात्मक रूप से ग्रामीण और शहरी मिलाकर कुल 33 जिले बनाए हुए हैं। इस बार 32 जिलाध्यक्षों की घोषणा की गई है, जबकि पानीपत ग्रामीण का नाम फिलहाल लंबित रखा गया है। पार्टी सूत्रों के अनुसार, इस पद के लिए नाम पर अभी सहमति नहीं बनी है।
नए चेहरे, पुराना अनुभव
सूची की सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें नए चेहरे जरूर हैं, लेकिन वे बिल्कुल अनुभवहीन नहीं हैं। ज्यादातर वे कार्यकर्ता हैं जो वर्षों से पार्टी के लिए जमीन पर काम कर रहे थे, लेकिन अब तक उन्हें संगठनात्मक पद नहीं मिला था।
किसी पूर्व सांसद, मंत्री या मौजूदा विधायक को यह जिम्मेदारी नहीं दी गई।
लाडवा के पूर्व विधायक मेवा सिंह अकेले ऐसे पूर्व जनप्रतिनिधि हैं जिन्हें जिलाध्यक्ष बनाया गया है।
महत्वपूर्ण नियुक्तियां और पृष्ठभूमि
परविंदर परी – अंबाला छावनी के जिलाध्यक्ष बनाए गए। 2019 विधानसभा चुनाव में इन्हें पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा का टिकट काटकर मैदान में उतारा गया था।
अनिरुद्ध चौधरी – भिवानी ग्रामीण के जिलाध्यक्ष। पूर्व मुख्यमंत्री बंसीलाल के पोते और बीसीसीआई अध्यक्ष रह चुके रणबीर महेंद्रा के बेटे हैं। इन्होंने हाल के चुनाव में अपनी ही रिश्तेदार और मौजूदा मंत्री श्रुति चौधरी के खिलाफ चुनाव लड़ा था।
वर्धन यादव – गुरुग्राम ग्रामीण के जिलाध्यक्ष। बादशाहपुर से विधानसभा चुनाव लड़ चुके हैं।
मेवा सिंह – कुरुक्षेत्र के जिलाध्यक्ष। लाडवा से चुनाव हारने के बावजूद सक्रियता के कारण जिम्मेदारी मिली।
हुड्डा खेमे का दबदबा, लेकिन संतुलन बरकरार
सूत्रों के मुताबिक, 32 में से 24 जिलाध्यक्ष पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के करीबी माने जाते हैं। हालांकि, कांग्रेस ने संतुलन बनाते हुए कुमारी सैलजा खेमे के 6, रणदीप सिंह सुरजेवाला खेमे के 1 और कैप्टन अजय यादव खेमे के 1 समर्थक को भी सूची में शामिल किया है।
अज्ञात और चौंकाने वाले नाम
सूची में कुछ नाम ऐसे हैं जो बड़े नेताओं और मीडिया के लिए बिल्कुल नए हैं। उदाहरण के लिए, पंचकूला के जिलाध्यक्ष संजय चौहान के बारे में पार्टी के कई वरिष्ठ नेताओं को भी जानकारी नहीं थी। घोषणा के बाद कई नेताओं ने एक-दूसरे को फोन कर इन नए चेहरों के बारे में पूछताछ की।
जातीय समीकरण का गणित
हरियाणा की राजनीति में जातीय समीकरण हमेशा अहम भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने इस सूची में जातीय संतुलन पर खास ध्यान दिया।
- 32 जिलाध्यक्षों में से सिर्फ 6 जाट नेता हैं।
- बाकी जिलाध्यक्ष अन्य जातियों से हैं, जिनमें पिछड़ा वर्ग, दलित, गुर्जर, यादव, पंजाबी और मुस्लिम समुदाय के प्रतिनिधि शामिल हैं।
- यह रणनीति कांग्रेस को गैर-जाट वोटरों तक पहुंचाने की कोशिश मानी जा रही है, क्योंकि हाल के चुनावों में पार्टी को इस वर्ग में अपेक्षित सफलता नहीं मिली थी।
सूची में देरी के कारण
लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने 30 जून तक जिलाध्यक्षों की सूची जारी करने की समयसीमा तय की थी। लेकिन जातीय समीकरण, नेताओं के बीच खींचतान और कुछ जिलों में नाम पर असहमति के कारण सूची करीब डेढ़ माह की देरी से जारी हुई।
राहुल गांधी अंतिम पैनल से पूरी तरह संतुष्ट होने के बाद ही सूची पर सहमति देते हैं। यही वजह रही कि प्रक्रिया लंबी खिंच गई।
नए जिलाध्यक्षों से अपेक्षाएं
पार्टी हाईकमान चाहता है कि नए जिलाध्यक्ष न केवल संगठन को मजबूत करें, बल्कि 2024 विधानसभा चुनाव और आगे के चुनावों में कांग्रेस की स्थिति बेहतर बनाएं।
- फील्ड में अधिक सक्रियता
- बूथ स्तर तक संगठन की मजबूती
- स्थानीय मुद्दों पर जनता के साथ जुड़ाव
जिलाध्यक्षों की पूरी सूची
- अंबाला कैंट – परविंदर परी
- अंबाला सिटी – पवन अग्रवाल
- अंबाला ग्रामीण – दुष्यंत चौहान
- भिवानी ग्रामीण – अनिरुद्ध चौधरी
- भिवानी शहर – प्रदीप गुलिया
- चरखी दादरी – सुशील धानक
- फरीदाबाद – बलजीत कौशिक
- फतेहाबाद – अरविंद शर्मा
- गुरुग्राम ग्रामीण – वर्धन यादव
- गुरुग्राम शहरी – पंकज डावर
- हिसार ग्रामीण – लाल बहादुर खोवाल
- हिसार शहरी – बजरंग दास गर्ग
- झज्जर – संजय यादव
- जींद – रिशिपाल
- कैथल – रामचंद्र गुर्जर
- करनाल ग्रामीण – राजेश वैद्य
- करनाल शहरी – पराग गाबा
- कुरुक्षेत्र – मेवा सिंह
- महेंद्रगढ़ – सत्यवीर यादव
- नूंह (मेवात) – शाहिद खान
- पलवल – नेत्रपाल अधाना
- पंचकूला – संजय चौहान
- पानीपत ग्रामीण – (नाम लंबित)
- रेवाड़ी – सुभाष चंद्र चावड़ी
- रेवाड़ी शहरी – प्रवीण चौधरी
- रोहतक ग्रामीण – बलवान सिंह रंगा
- रोहतक शहरी – कुलदीप सिंह
- सिरसा – संतोष बेनीवाल
- सोनीपत ग्रामीण – संजीव कुमार दहिया
- सोनीपत शहरी – कमल दीवान
- यमुनानगर ग्रामीण – नरपाल सिंह
- यमुनानगर शहरी – देवेंद्र सिंह