राहुल गांधी के खिलाफ दायर मानहानि मामले में संभल की अदालत ने फैसला 7 नवंबर के लिए सुरक्षित रखा है। यह केस हिंदू शक्ति दल के अध्यक्ष सिमरन गुप्ता की शिकायत पर दर्ज किया गया था।
संभल: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के एक पुराने बयान को लेकर चल रहे विवाद में संभल की चंदौसी अदालत ने मंगलवार को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह मामला हिंदू शक्ति दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष सिमरन गुप्ता द्वारा दायर किया गया था, जिन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल गांधी की टिप्पणी से देशवासियों की भावनाएं आहत हुईं। अदालत अब इस पर 7 नवंबर को अपना निर्णय सुनाएगी।
राहुल गांधी के बयान पर बढ़ा विवाद
यह मामला राहुल गांधी के उस बयान से जुड़ा है जो उन्होंने 15 जनवरी को दिल्ली कांग्रेस कार्यालय के उद्घाटन समारोह में दिया था। अपने संबोधन में उन्होंने कहा था कि “हमारी लड़ाई भाजपा या आरएसएस से नहीं, बल्कि इंडियन स्टेट (भारतीय राज व्यवस्था) से है।”
सिमरन गुप्ता ने इस बयान को राष्ट्रविरोधी और जनभावनाओं को ठेस पहुंचाने वाला बताया। उन्होंने दावा किया कि इस तरह की टिप्पणी देश की संस्थाओं पर अविश्वास पैदा करती है और जनता की एकता को प्रभावित करती है।
हिंदू शक्ति दल के अध्यक्ष ने की थी शिकायत
गुप्ता ने शुरुआत में संभल जिला मजिस्ट्रेट, पुलिस अधीक्षक और अन्य अधिकारियों के पास शिकायत दर्ज कराई थी। लेकिन जब कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो उन्होंने 23 जनवरी को चंदौसी अदालत में औपचारिक शिकायत दायर की।
इसके बाद यह मामला नियमित सुनवाई के लिए सूचीबद्ध हुआ और अब तक 7 मई, 16 जून, 18 जुलाई, 25 अगस्त और 26 सितंबर को इस पर सुनवाई हो चुकी है। मंगलवार को दोनों पक्षों की अंतिम दलीलें पूरी होने के बाद अदालत ने निर्णय सुरक्षित रख लिया।
अदालत में राहुल के वकील की दलीलें

राहुल गांधी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता सगीर सैफी ने अदालत में पक्ष रखा। उन्होंने तर्क दिया कि सिमरन गुप्ता द्वारा दायर याचिका “विचारणीय नहीं” है, क्योंकि राहुल गांधी की टिप्पणी किसी व्यक्ति या समुदाय विशेष के खिलाफ नहीं थी, बल्कि एक राजनीतिक विमर्श का हिस्सा थी।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक व्यवस्था में राजनीतिक आलोचना को ‘भावनाओं को ठेस पहुंचाना’ नहीं कहा जा सकता। अदालत को ऐसे मामलों में संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भी ध्यान रखना चाहिए।
राहुल बयान केस में 7 नवंबर को निर्णय
अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (द्वितीय) आरती फौजदार की बेंच ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया। अदालत ने स्पष्ट किया कि सभी तर्कों और कानूनी पहलुओं का अध्ययन करने के बाद 7 नवंबर को फैसला सुनाया जाएगा।
इस मामले ने राजनीतिक गलियारों में भी हलचल मचा दी है, क्योंकि राहुल गांधी पहले से ही कई विवादास्पद बयानों को लेकर चर्चा में रहे हैं। अब देखना होगा कि अदालत इस मामले में क्या रुख अपनाती है — क्या इसे राजनीतिक बयान माना जाएगा या फिर कानूनी कार्रवाई के दायरे में लाया जाएगा।












