प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ जमीन के लेनदेन में कथित धनशोधन (मनी लॉन्ड्रिंग) से जुड़े एक मामले में चार्जशीट दाखिल कर दी है।
ED: रॉबर्ट वाड्रा (Robert Vadra), कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी वाड्रा के पति एक बार फिर प्रवर्तन निदेशालय (ED) के रडार पर हैं। ईडी ने वाड्रा के खिलाफ जमीन सौदे में कथित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दिल्ली की राउज एवेन्यू कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी है। इसके साथ ही वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड की लगभग 37.64 करोड़ रुपये की 43 अचल संपत्तियां भी कुर्क कर ली गई हैं।
यह मामला हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर जमीन सौदे से जुड़ा है, जिसमें वाड्रा और अन्य आरोपियों पर अनियमितताओं और धनशोधन के गंभीर आरोप लगे हैं। सवाल उठता है कि इस मामले की जड़ क्या है, ईडी ने वाड्रा पर क्या आरोप लगाए हैं और आगे क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है? आइए विस्तार से जानते हैं।
क्या है रॉबर्ट वाड्रा से जुड़ा पूरा मामला?
इस विवाद की शुरुआत हुई थी हरियाणा के मानेसर-शिकोहपुर इलाके में जमीन खरीद-बिक्री से। आरोप है कि वाड्रा की कंपनी ने ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से जमीन खरीदी और इसका म्यूटेशन महज एक दिन में करा लिया गया, जबकि आमतौर पर इसमें तीन महीने तक लगते हैं। इसके अगले ही दिन जमीन वाड्रा की कंपनी के नाम ट्रांसफर कर दी गई।
इसके बाद हरियाणा की तत्कालीन भूपेंद्र सिंह हुड्डा सरकार ने वाड्रा की कंपनी को इस जमीन को कमर्शियल कॉलोनी के रूप में विकसित करने का लाइसेंस दे दिया। जैसे ही यह लाइसेंस मिला, जमीन की कीमत कई गुना बढ़ गई। वर्ष 2008 में वाड्रा से जुड़ी कंपनी ने वही जमीन रियल एस्टेट दिग्गज डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी। आरोप है कि कुछ ही महीनों में जमीन की कीमत 773 प्रतिशत तक बढ़ाई गई और इससे भारी मुनाफा कमाया गया। बाद में हुड्डा सरकार ने आवासीय परियोजना का लाइसेंस भी डीएलएफ को ट्रांसफर कर दिया।
मामले का खुलासा कैसे हुआ?
इस मामले का खुलासा तब हुआ जब आईएएस अफसर अशोक खेमका (अब रिटायर्ड) हरियाणा में भूमि पंजीकरण विभाग के इंस्पेक्टर जनरल के पद पर थे। उन्होंने वाड्रा से जुड़े सौदों की जांच शुरू कर दी। जांच के बाद खेमका ने 15 अक्टूबर 2012 को जमीन का म्यूटेशन रद्द कर दिया। इसके बाद विवाद गहराया और खेमका का ट्रांसफर कर दिया गया।
हुड्डा सरकार ने खेमका पर 'अधिकार से बाहर जाकर कार्रवाई' करने का आरोप लगाया और वाड्रा को क्लीन चिट दे दी। बाद में बीजेपी सरकार आने के बाद मामले ने फिर रफ्तार पकड़ी।
बीजेपी सरकार में फिर खुला मामला
2014 में बीजेपी सरकार के आने के बाद मनोहर लाल खट्टर सरकार ने इस सौदे की जांच के लिए रिटायर्ड जज के नेतृत्व में आयोग बनाया। अगस्त 2016 में आयोग ने 182 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी लेकिन इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। हुड्डा सरकार ने आयोग के गठन को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी और रिपोर्ट को सार्वजनिक न करने का आश्वासन दिया।
2018 में हरियाणा पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज किया, जिसमें वाड्रा और हुड्डा के नाम भी शामिल थे। 1 सितंबर 2018 को ईडी ने इस मामले को टेकओवर किया और मनी लॉन्ड्रिंग की जांच शुरू कर दी।
ईडी का आरोप क्या है?
ईडी का आरोप है कि रॉबर्ट वाड्रा ने जाली दस्तावेजों और झूठी घोषणाओं के आधार पर जमीन खरीद-बिक्री कर मुनाफा कमाया। ईडी का कहना है कि यह धनशोधन का क्लासिक केस है, जिसमें प्रॉपर्टी डील के जरिए ब्लैक मनी को सफेद किया गया। ईडी ने वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी के अलावा 11 अन्य लोगों को भी आरोपी बनाया है। अदालत में दाखिल चार्जशीट में 37.64 करोड़ की संपत्तियों को 'अपराध की कमाई' बताया गया है।
प्रवर्तन निदेशालय ने वाड्रा की जिन संपत्तियों को अटैच किया है, उसके पीछे धनशोधन रोकथाम अधिनियम (PMLA) का धारा 5 लागू होता है। इसके तहत ईडी किसी भी संदिग्ध व्यक्ति की उस संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क कर सकता है, जिसे अपराध से अर्जित माना जाता है। इस कुर्की आदेश की वैधता 180 दिन तक होती है।
इस दौरान ईडी द्वारा नियुक्त न्यायिक प्राधिकरण (Adjudicating Authority) से पुष्टि कराई जाती है। अगर प्राधिकरण इसे सही मानता है तो संपत्ति कुर्क रहेगी, नहीं तो अपने आप मुक्त हो जाएगी। ध्यान रहे, संपत्ति का मालिकाना हक ईडी के पास नहीं जाता, केवल कब्जा रहता है। अगर आरोपी दोषी साबित होता है तो कोर्ट उसकी संपत्ति को जब्त करने का आदेश दे सकती है।
अब आगे क्या होगा?
अब जबकि ईडी ने चार्जशीट दाखिल कर दी है, कोर्ट दस्तावेजों की जांच और सत्यापन के बाद आरोप तय करने की प्रक्रिया शुरू करेगी। इसके बाद रॉबर्ट वाड्रा को कोर्ट में नियमित रूप से पेश होना होगा। यदि अदालत यह मानती है कि ईडी के आरोपों में दम है, तो मुकदमा आगे बढ़ेगा। अगर वाड्रा दोषी साबित होते हैं तो संपत्ति जब्त करने के साथ-साथ कड़ी सजा का भी प्रावधान है। वहीं, वाड्रा और हुड्डा दोनों ही आरोपों को राजनीतिक साजिश बता चुके हैं।
इस चार्जशीट के बाद लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि, रॉबर्ट वाड्रा को जानबूझकर परेशान किया जा रहा है। लेकिन आखिर में जीत सच्चाई की होगी।