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SC में सरकार का दावा: वक्फ कानून में बदलाव से पहले ली गई 97 लाख लोगों की राय

SC में सरकार का दावा: वक्फ कानून में बदलाव से पहले ली गई 97 लाख लोगों की राय
अंतिम अपडेट: 21-05-2025

सुप्रीम कोर्ट में वक्फ कानून पर सुनवाई के दौरान केंद्र ने कहा कि संशोधन से पहले 97 लाख लोगों से राय ली गई। याचिकाकर्ता पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते।

New Delhi: वक्फ संशोधन अधिनियम (Waqf Amendment Act) को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को दूसरे दिन की सुनवाई हुई। इस दौरान केंद्र सरकार की ओर से सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने कोर्ट में सरकार का पक्ष मजबूती से रखते हुए साफ किया कि यह कानून बिना सोच-विचार के नहीं लाया गया है, बल्कि इसके पीछे गहराई से परामर्श की प्रक्रिया रही है।

सरकार की तरफ से रखी गई मुख्य दलीलें

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वक्फ कानून में किए गए संशोधन से पहले करीब 97 लाख लोगों से राय ली गई थी। इसके अलावा देशभर के 25 वक्फ बोर्डों से बातचीत की गई और राज्य सरकारों से भी सलाह-मशविरा किया गया।

उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता इस बात का दावा नहीं कर सकते कि वे पूरे मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करते हैं। इसलिए यह याचिका केवल कुछ व्यक्तियों की राय को सामने रखती है, न कि पूरे समाज की।

प्रक्रिया रही पारदर्शी और बहुपक्षीय

सरकार का कहना है कि वक्फ कानून में संशोधन किसी एकतरफा फैसले का नतीजा नहीं है। इसके लिए कई स्तरों पर बातचीत और विचार-विमर्श हुआ है। सरकार ने बताया कि संयुक्त संसदीय समिति (JPC) ने भी इस कानून पर गहन चर्चा की थी। हर क्लॉज पर विस्तार से विचार किया गया और फिर जरूरत के मुताबिक कुछ सुझावों को शामिल भी किया गया।

याचिकाकर्ताओं के दावे पर सवाल

सुनवाई के दौरान जस्टिस बीआर गवई ने सवाल उठाया कि क्या सरकार खुद अपने दावों की पुष्टि कर सकती है? इस पर सॉलिसिटर जनरल ने स्वीकार किया कि यह सही नहीं होगा कि सरकार खुद ही तय करे कि कौन सही है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि शुरुआत में संशोधन विधेयक में कलेक्टर को निर्णय लेने वाला अधिकारी बनाया गया था, लेकिन JPC की सिफारिश पर इसे बदला गया।

अब यह प्रावधान किया गया है कि कलेक्टर के अलावा किसी अन्य अधिकारी को नामित किया जाए, जो इस तरह के विवादों का निपटारा करे।

विवाद का मूल मुद्दा – जमीन की मिल्कियत

सरकार का प्रमुख तर्क यह रहा कि वक्फ संपत्तियों से जुड़ी जमीनों पर दावा करने के लिए यह जरूरी है कि पहले यह पता चले कि जमीन की मिल्कियत किसके पास है। SG मेहता ने कहा कि सरकार सभी नागरिकों की ओर से ट्रस्टी के रूप में काम करती है और यदि कोई संपत्ति सरकारी जमीन पर बनी हो, तो सरकार को यह अधिकार होना चाहिए कि वह उसकी जांच कर सके।

उन्होंने कहा कि वक्फ संपत्ति का उपयोग लंबे समय तक किसी ने किया हो, इसका यह मतलब नहीं कि उसकी मिल्कियत भी उसी के पास हो।

कानून का उद्देश्य - संतुलन और पारदर्शिता

तुषार मेहता ने जोर देकर कहा कि सरकार का उद्देश्य किसी समुदाय को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि संपत्ति संबंधी विवादों में स्पष्टता और पारदर्शिता लाना है। उन्होंने बताया कि कानून का ड्राफ्ट तैयार करने से लेकर इसे पास करने तक हर प्रक्रिया में जनता की भागीदारी रही है।

सरकार ने भरोसा दिलाया - हर सवाल का मिलेगा जवाब

सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह आश्वासन दिया कि याचिकाकर्ताओं द्वारा उठाए गए हर एक बिंदु पर जवाब बिंदुवार तरीके से दिया जाएगा। तुषार मेहता ने कोर्ट से आग्रह किया कि वे याचिकाओं को केवल इस आधार पर न देखें कि कुछ लोग इससे असहमत हैं, बल्कि पूरी प्रक्रिया को ध्यान में रखते हुए निर्णय लिया जाए।

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