सेबी ने नए नियमों के तहत 5 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा मार्केट वैल्यू वाली कंपनियों के लिए IPO में न्यूनतम हिस्सेदारी 5% से घटाकर 2.5% कर दी है। इससे रिलायंस जियो के संभावित आईपीओ का साइज 58,000-67,500 करोड़ रुपये से घटकर करीब 30,000 करोड़ रह जाएगा। यह बदलाव एनएसई जैसी अन्य दिग्गज कंपनियों के लिए भी राहत भरा है।
Jio IPO: मार्केट रेगुलेटर सेबी ने IPO नियमों में बड़ा बदलाव किया है, जिससे बड़ी कंपनियों पर बाजार में हिस्सेदारी बेचने का दबाव कम होगा। अब 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक वैल्यू वाली कंपनियों को IPO में न्यूनतम 2.5% हिस्सेदारी बेचनी होगी, पहले यह 5% थी। इस फैसले से रिलायंस जियो का IPO साइज आधा होकर लगभग 30,000 करोड़ रह जाएगा। विशेषज्ञों के अनुसार यह कदम शेयर बाजार में सप्लाई का बोझ घटाने और कंपनियों को लचीलापन देने वाला साबित होगा।
अब कम हिस्सेदारी बेचनी होगी
अब तक नियम यह था कि जिन कंपनियों की मार्केट वैल्यू 5 लाख करोड़ रुपये से अधिक है, उन्हें IPO लाने के समय कम से कम 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बाजार में बेचनी होती थी। इसका मतलब यह था कि इतनी बड़ी कंपनियों को बहुत बड़ा IPO लाना पड़ता था। इससे बाजार पर अचानक भारी दबाव पड़ने का खतरा बना रहता था।
नए नियम के मुताबिक अब इन कंपनियों को केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी ही बेचनी होगी। इस राहत से कंपनियों का IPO साइज लगभग आधा हो जाएगा।
जियो का IPO होगा छोटा
ब्रोकरेज फर्म गोल्डमैन सैक्स के आकलन के अनुसार, बुल मार्केट के दौरान रिलायंस जियो की मार्केट वैल्यू करीब 13.5 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। पुराने नियम के तहत जियो को 5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचनी पड़ती, जिसका मतलब होता 58,000 से 67,500 करोड़ रुपये का आईपीओ।
लेकिन नए नियम लागू होने के बाद अब जियो को केवल 2.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचनी होगी। इससे उसका IPO साइज घटकर लगभग 30,000 करोड़ रुपये रह जाएगा। यह बाजार के लिए भी एक संतुलित कदम साबित होगा।
रिलायंस इंडस्ट्रीज को भी फायदा
जियो की मूल कंपनी रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए भी यह बदलाव फायदेमंद है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि इससे ‘होल्डिंग कंपनी डिस्काउंट’ की चिंता कम होगी। यानी निवेशकों की नजर में कंपनी की वैल्यू ज्यादा मजबूत दिखाई देगी।
खुद मुकेश अंबानी पहले ही संकेत दे चुके हैं कि जियो का IPO 2026 की पहली छमाही में आ सकता है। ऐसे में यह बदलाव जियो के लिए सही समय पर राहत लेकर आया है।
एलआईसी को पहले मिली थी छूट
यह पहली बार नहीं है जब सेबी ने बड़ी कंपनियों को नियमों में राहत दी हो। साल 2022 में LIC को IPO के समय विशेष छूट दी गई थी। उस समय कंपनी को केवल 3.5 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचने की इजाजत मिली थी, जिससे उसने 21,000 करोड़ रुपये जुटाए थे।
अब सेबी ने स्थायी रूप से यह व्यवस्था बना दी है कि बड़ी कंपनियों को IPO लाने में आसानी हो।
25 प्रतिशत हिस्सेदारी घटाने का समय बढ़ा
नए नियम में कंपनियों के लिए एक और राहत दी गई है। अब उन्हें न्यूनतम 25 प्रतिशत सार्वजनिक हिस्सेदारी (MPS) की शर्त पूरी करने के लिए ज्यादा समय मिलेगा। कंपनियां धीरे-धीरे 10 साल की अवधि में अपनी हिस्सेदारी घटा सकेंगी।
इससे कंपनियों को बिना किसी दबाव के बाजार में हिस्सेदारी बेचने का मौका मिलेगा। साथ ही निवेशकों के लिए भी बाजार स्थिर रहेगा।
बड़ी कंपनियों के लिए गेमचेंजर
सेबी का यह कदम रिलायंस जियो और एनएसई जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए गेमचेंजर साबित होगा। अब वे बिना किसी भारी बोझ के IPO ला सकेंगी। छोटे साइज के IPO से बाजार पर अचानक सप्लाई का दबाव नहीं बनेगा और निवेशकों को निवेश का बेहतर अवसर मिलेगा।
बाजार जानकारों का मानना है कि यह बदलाव भारतीय पूंजी बाजार को और ज्यादा आकर्षक बनाएगा। साथ ही आने वाले समय में कई बड़ी कंपनियां आसानी से बाजार में कदम रख पाएंगी।