वेदांता ने कर्ज में डूबी जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) को अधिग्रहित करने के लिए 17,000 करोड़ रुपये की सफल बोली लगाई है, जिसमें उसने अडाणी ग्रुप को पीछे छोड़ दिया। जेएएल पर करीब 57,185 करोड़ रुपये का कर्ज है। कंपनी की प्रमुख संपत्तियों में एनसीआर की रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, होटल, सीमेंट यूनिट्स और अन्य इन्फ्रास्ट्रक्चर शामिल हैं।
नई दिल्ली: माइनिंग सेक्टर की दिग्गज कंपनी वेदांता ने जयप्रकाश एसोसिएट्स (JAL) के अधिग्रहण के लिए 17,000 करोड़ रुपये की बोली लगाकर अडाणी ग्रुप को पछाड़ दिया है। इलाहाबाद NCLT ने जून 2024 में जेएएल को दिवाला प्रक्रिया में भेजा था और 5 सितंबर को कर्जदाताओं की समिति (COC) की बैठक में यह बोली प्रक्रिया पूरी हुई। जेएएल पर 57,185 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है, जबकि इसकी परिसंपत्तियों में नोएडा, ग्रेटर नोएडा और जेवर के रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स, होटल, सीमेंट यूनिट्स और इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रॉपर्टीज शामिल हैं।
NCLT ने JAL को भेजा दिवाला प्रक्रिया में
राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (NCLT) की इलाहाबाद पीठ ने 3 जून 2024 को जेएएल को कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) में भेजा था। कंपनी पर लगातार बढ़ते कर्ज और उसका भुगतान न कर पाने के चलते यह कदम उठाना पड़ा। इसके बाद जेएएल को दिवाला एवं शोधन अक्षमता संहिता (IBC) के तहत बेचने की प्रक्रिया शुरू हुई।
वेदांता की बोली ने मारी बाजी
सूत्रों के मुताबिक जेएएल की बिक्री के लिए कर्जदाताओं की समिति (COC) ने चुनौती प्रक्रिया अपनाई। 5 सितंबर को हुई बैठक में यह प्रक्रिया पूरी हुई। इसमें वेदांता ने 17,000 करोड़ रुपये की बोली लगाई। हालांकि, इसका शुद्ध वर्तमान मूल्य यानी NPV 12,505 करोड़ रुपये बैठा। दूसरी ओर अडाणी ग्रुप ने भी दावेदारी पेश की थी, लेकिन वेदांता की बोली भारी पड़ गई और कंपनी ने अधिग्रहण की दौड़ जीत ली।
JAL पर 57,000 करोड़ रुपये से ज्यादा का बकाया
JAL पर कुल 57,185 करोड़ रुपये का बकाया बताया जा रहा है। इसमें सबसे बड़ा हिस्सा 'नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी लिमिटेड' (NARCL) का है, जिसने भारतीय स्टेट बैंक के नेतृत्व वाले कर्जदाता समूह से जेएएल का बड़ा हिस्सा खरीदा था। कंपनी पर इतना बड़ा कर्ज होने के चलते कई कंपनियों ने इसमें दिलचस्पी दिखाई थी।
कई कंपनियों ने दिखाई थी दिलचस्पी
अप्रैल 2024 में JAL के अधिग्रहण में करीब 25 कंपनियों ने रुचि दिखाई थी। हालांकि, बोली की प्रक्रिया आगे बढ़ते-बढ़ते केवल पांच कंपनियों ने ही अपनी दावेदारी रखी। इनमें अडाणी एंटरप्राइजेज, डालमिया भारत सीमेंट, वेदांता ग्रुप, जिंदल पावर और पीएनसी इन्फ्राटेक शामिल थे। अंतिम चरण में मुकाबला केवल वेदांता और अडाणी ग्रुप के बीच रह गया।
JAL के बड़े प्रोजेक्ट्स
जयप्रकाश एसोसिएट्स की संपत्तियों में देश के कई अहम प्रोजेक्ट्स शामिल हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) में कंपनी की कई बड़ी रियल एस्टेट परियोजनाएं हैं। इनमें ग्रेटर नोएडा का जेपी ग्रीन्स, नोएडा का जेपी ग्रीन्स विशटाउन और जेवर अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे के पास स्थित जेपी इंटरनेशनल स्पोर्ट्स सिटी प्रमुख हैं। इन प्रोजेक्ट्स को लेकर लंबे समय से चर्चा रही है और अब वेदांता के हाथों में जाने से इनकी दिशा बदलने की उम्मीद है।
होटल और रियल एस्टेट कारोबार
रियल एस्टेट के अलावा JAL का होटल कारोबार भी मजबूत रहा है। दिल्ली-एनसीआर, मसूरी और आगरा में कंपनी के पांच बड़े होटल संचालित होते रहे हैं। ये होटल लंबे समय तक जेपी ग्रुप की ब्रांड पहचान का हिस्सा रहे हैं। हालांकि कर्ज संकट के चलते इस कारोबार पर भी असर पड़ा है।
सीमेंट और खनन कारोबार
जेपी एसोसिएट्स का कारोबार केवल रियल एस्टेट और होटल तक सीमित नहीं है। कंपनी के पास मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में चार सीमेंट यूनिट्स हैं। इसके अलावा कंपनी ने चूना पत्थर की कई खदानों को पट्टे पर लिया हुआ है। हालांकि मौजूदा समय में इसके सीमेंट प्लांटों में उत्पादन बंद पड़ा है।
अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी
जेपी एसोसिएट्स की अपनी सब्सिडरी कंपनियों में भी बड़ी हिस्सेदारी है। इनमें जयप्रकाश पावर वेंचर्स लिमिटेड, यमुना एक्सप्रेसवे टोलिंग लिमिटेड और जेपी इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट लिमिटेड शामिल हैं। इन कंपनियों में निवेश के जरिए जेपी ग्रुप ने अपने कारोबार का विस्तार किया था।