Pune

₹69 लाख का QR कोड फ्रॉड! ज्वेलरी शॉप में मालिक, बेटी और स्टाफ के बीच बड़ा विवाद

₹69 लाख का QR कोड फ्रॉड! ज्वेलरी शॉप में मालिक, बेटी और स्टाफ के बीच बड़ा विवाद

थिरुवनंतपुरम की ‘Oh By Ozy’ नामक imitation jewellery की दुकान में एक बड़ा QR कोड फ्रॉड सामने आया है। इस दुकान के मालिक, मलयालम अभिनेता और BJP नेता के. कृष्णकुमार और उनकी बेटी इन्फ्लुएंसर Diya Krishna ने आरोप लगाया है कि तीन कर्मचारियों — Vineetha, Divya और Radhakumar ने जुलाई 2024 से अप्रैल 2025 तक ग्राहकों के पेमेंट का ₹69 लाख तक का पैसा अपने व्यक्तिगत Google Pay अकाउंट में redirect किया।

कैसे हुआ धोखा?

Family ने बताया कि यह फ्रॉड तब शुरू हुआ, जब Diya प्रेग्नेंट होने के कारण दुकान से दूर थीं और कर्मचारी नियंत्रण संभाल रहे थे। उन्होंने दुकान के legit QR कोड रिमूव कर दिया और अपने personal QR लगा दिए, जिसके जरिए हर transaction उनके खातों में गया। CCTV रिकॉर्डिंग में इन्हें ऐसी हरकत करते दिखाया गया, साथ ही यह भी दावा किया गया कि एक कर्मचारी ने पैसे बाँटने की बात भी कबूल की ।

मामला दोनों तरफ़ FIR दर्ज

दुकान मालिकों (कृष्णकुमार/Diya) की शिकायत पर Museum पुलिस ने cheating, criminal breach of trust और intimidation की धाराओं में केस दर्ज किया है।
वहीं Vineetha और अन्य आरोपियों ने भी counter-complaint दर्ज कर राज्य किया है कि उन्हें तुरंत पुलिस थाने लाया गया, उनके साथ पहचान और जाति के आधार पर अपमानजनक तरीके से पेश आया गया, और उन्होंने आत्महत्याकांड जैसी फोर्स्ड कंफेशन देने का आरोप लगाया।

पुलिस जांच और सबूत क्या दिखा रहे हैं?

Museum पुलिस ने एक विशेष जांच टीम गठित की है और बैंक ट्रांजैक्शन हिस्ट्री, फोन डेटा और CCTV फुटेज की detail जांच शुरू कर दी है। शुरुआती जांच में यह बात सामने आई कि आरोपियों ने ₹9 लाख वापस लौटाए थे, लेकिन बाकी पैसा अभी अकाउंट में नहीं पाया गया है ।

सामाजिक संवाद और जाति मुद्दा

यह मामला सिर्फ financial फ्रॉड तक सीमित नहीं रह गया। आरोपियों ने कहा है कि उन्हें “caste-based discrimination” का सामना करना पड़ा। सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ऐसी reports viral हो रही हैं। दूसरी ओर परिवार ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि यह सिर्फ न्याय से बचने की रणनीति हो सकती है।

यह विवाद सिर्फ ₹69 लाख के धांधली का मामला नहीं है, बल्कि ऑनलाइन और ऑफलाइन पेमेंट पर भरोसे को चुनौती देता है। QR कोड को बदलकर पैसे redirect करना एक गंभीर cyber-enabled फ्रॉड है। दूसरी ओर, caste और forced confession जैसे मुद्दे इसमें सामाजिक और कानूनी सवाल खड़े कर देते हैं।

अब जांच का रास्ता बैंक डेटा और वीडियो सबूतों की पुष्टि पर टिका है। अगर सबूत सच साबित होते हैं, तो यह कैसा precedent बनेगा — एक tech-based फ्रॉड या caste-based labelling का misuse — यह आने वाले समय में पता चल जाएगा।

 

Leave a comment