हसनपुर विधानसभा सीट पर इस बार जदयू के राजकुमार राय और महागठबंधन की माला पुष्पम के बीच मुकाबला है। तेज प्रताप यादव की गैरमौजूदगी से राजनीतिक समीकरण बदल सकते हैं। जातीय संतुलन और स्थानीय मुद्दे निर्णायक रहेंगे।
Bihar Election 2025: समस्तीपुर जिले की हसनपुर विधानसभा (Hasanpur Constituency) इस बार फिर सुर्खियों में है। पहले यह सीट तेज प्रताप यादव के कारण चर्चा में रही। इस बार वे महुआ से मैदान में हैं। ऐसे में हसनपुर में नई राजनीतिक जंग देखने को मिल रही है। 2010 और 2015 में जदयू (JDU) के राजकुमार राय यहां से विजयी रहे। इस बार एनडीए (NDA) की ओर से फिर वही दांव खेला गया है। दूसरी तरफ महागठबंधन (Mahagathbandhan) ने माला पुष्पम को उम्मीदवार बनाया है।
अब तक की राजनीतिक तस्वीर
हसनपुर की राजनीतिक यात्रा दिलचस्प रही है। यहां से कभी गजेंद्र प्रसाद हिमांशु, कभी काबीना मंत्री राजेंद्र यादव, तो कभी तेज प्रताप यादव ने इस सीट को चर्चा में रखा। 2005 में सुनील कुमार पुष्पम ने जीत दर्ज की। 2010 और 2015 में राजकुमार राय लगातार विजयी रहे। 2020 में तेज प्रताप यादव ने इस सीट से जीत हासिल कर अपनी मौजूदगी दर्ज कराई।
उम्मीदवारों की रणनीति
राजकुमार राय इस बार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विकास कार्यों के साथ-साथ अपने ऐच्छिक कोष से कराए गए कार्यों को जनता के बीच प्रचारित कर रहे हैं। उनका फोकस स्थानीय समस्याओं और विकास योजनाओं पर है। दूसरी ओर माला पुष्पम अपने पति सुनील कुमार पुष्पम के कार्यकाल में हुए विकास कार्यों को अपना मुख्य मुद्दा बना रही हैं।
त्रिकोणीय मुकाबले की संभावना
इस बार मुकाबला सिर्फ एनडीए और महागठबंधन के बीच सीमित नहीं है। जनसुराज (Jansuraj) की इंदू गुप्ता और बसपा (BSP) की विभा देवी भी मैदान में हैं। ये दोनों उम्मीदवार सीट को त्रिकोणीय बना सकती हैं। 2020 के चुनाव में तेज प्रताप यादव को 80,991 वोट मिले थे जबकि जदयू उम्मीदवार को 59,852 वोट हासिल हुए थे। उस चुनाव में एमवाई (MY) समीकरण की बड़ी भूमिका रही थी।

जातीय समीकरण का प्रभाव
हसनपुर में यादव जाति का प्रभाव सबसे अधिक है। स्थापना से अब तक अधिकतर बार यादव समुदाय के उम्मीदवार ही विजयी रहे हैं। यादवों के अलावा मल्लाह, कुशवाहा और मुस्लिम मतदाता भी यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं। गजेंद्र प्रसाद हिमांशु सबसे ज्यादा आठ बार यहां से विधायक रहे हैं। जातीय संतुलन (Caste Balance) इस बार भी निर्णायक कारक बन सकता है।
2010 और 2015 के चुनाव परिणाम
2010 में जब जदयू और भाजपा (BJP) एक साथ चुनाव लड़ी, तब जदयू के राजकुमार राय ने राजद प्रत्याशी को 3291 वोटों से हराया। 2015 में जब जदयू और राजद गठबंधन में थे, तब राजकुमार राय ने रालोसपा प्रत्याशी विनोद चौधरी को 29,600 वोटों से पराजित किया। इन दोनों चुनावों के परिणामों में काफी अंतर रहा, जो स्थानीय समीकरणों का संकेत देता है।
2020 के मुकाबले की झलक
2020 के चुनाव में तेज प्रताप यादव मैदान में थे। उस चुनाव में जदयू को भारी प्रतिस्पर्धा झेलनी पड़ी। तेज प्रताप को जहां यादव-मुस्लिम (MY) समीकरण का लाभ मिला, वहीं जदयू को अन्य जातियों की गोलबंदी का सहारा। इस बार तेज प्रताप की गैरमौजूदगी से सीट की दिशा बदल सकती है।
हसनपुर की भौगोलिक और सामाजिक बनावट
हसनपुर विधानसभा क्षेत्र में तीन प्रखंड शामिल हैं — बिथान, हसनपुर और सिंघिया। बिथान प्रखंड की जगमोहरा पंचायत का बेलाही और सनोखरा गांव समस्तीपुर की सीमा से जुड़ा है। इस इलाके को ‘फरकिया’ कहा जाता है। अकबर के नवरत्नों में से एक टोडरमल यहां की नदियों के जाल के कारण जमीन की पैमाइश नहीं कर पाए और इस क्षेत्र को अलग (Different) कर दिया गया। तब से यह इलाका फरकिया नाम से जाना जाता है।
चार जिलों की सीमाएं छूता क्षेत्र
बिथान प्रखंड का इलाका चार जिलों की सीमाओं को छूता है — बेगूसराय, दरभंगा, खगड़िया और सहरसा-सुपौल। जगमोहरा पंचायत में करेह, कमला और कोसी नदियों का संगम (Confluence) होता है। माघ महीने में यहां लगने वाला मेला स्थानीय लोगों के लिए सांस्कृतिक पहचान रखता है।












