बिहार की तीन बार की जदयू विधायक मीना द्विवेदी ने पार्टी छोड़ी और जन सुराज पार्टी में शामिल हो गईं। उन्होंने उपेक्षा का आरोप लगाया। उनके इस कदम से आगामी विधानसभा चुनाव में जदयू को नुकसान हो सकता है।
Bihar Politics: बिहार की राजनीति में एक बड़ा सियासी घटनाक्रम देखने को मिला है। पूर्वी चंपारण के गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र से तीन बार जदयू विधायक रहीं मीना द्विवेदी ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस कदम ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले जदयू और एनडीए गठबंधन के लिए सियासी खतरे की घंटी बजा दी है।
मीना द्विवेदी ने क्यों छोड़ा जदयू
मीना द्विवेदी ने अपने इस्तीफे में पार्टी में लगातार हो रही उपेक्षा और अपने समर्थकों की अनदेखी का हवाला दिया। उन्होंने प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा को अपना इस्तीफा भेजा और बताया कि पार्टी से उन्हें और उनके समर्थकों को कोई प्रेरणा या ऊर्जा नहीं मिल रही थी। उनका मानना है कि इस स्थिति में वे आम जनता के हित में काम नहीं कर पा रही थीं।
मीना ने अपने समर्थकों के साथ जन सुराज पार्टी का दामन थामा। बुधवार को उन्होंने जदयू के कई पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से मुलाकात की और फिर प्रशांत किशोर से भी भेंट की, जिससे उनके इस कदम की सियासी गंभीरता और स्पष्ट हुई।
परिवार का प्रभाव
मीना द्विवेदी का परिवार चंपारण की राजनीति में दशकों से सक्रिय रहा है। उनके देवर देवेंद्र नाथ दुबे एक चर्चित बाहुबली थे और 1995 में समता पार्टी से विधायक बने। उनके पति भूपेंद्र नाथ दुबे भी 1998 में विधायक चुने गए थे।
मीना द्विवेदी खुद 2005 के फरवरी और नवंबर तथा 2010 में जदयू से विधायक बनीं। उनका गोविंदगंज क्षेत्र में मजबूत जनाधार रहा है। उनके जाने से इस विधानसभा सीट पर जदयू की स्थिति कमजोर हो सकती है।
आगामी बिहार विधानसभा चुनाव पर असर
मीना द्विवेदी के इस कदम को विशेष रूप से जदयू और एनडीए गठबंधन के लिए बड़ा नुकसान माना जा रहा है। गोविंदगंज विधानसभा क्षेत्र में उनका मजबूत जनाधार और राजनीतिक प्रभाव जदयू के लिए चुनावी चुनौती खड़ी कर सकता है।
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि उनके जाने से नीतीश कुमार की पार्टी को न केवल इस सीट पर बल्कि आसपास के क्षेत्रों में भी मत विभाजन का सामना करना पड़ सकता है। जन सुराज पार्टी में शामिल होने के बाद उनकी रणनीति और समर्थन का प्रभाव आगामी चुनाव में महत्वपूर्ण हो सकता है।
प्रशांत किशोर की भूमिका
मीना द्विवेदी ने अपने फैसले के बाद प्रशांत किशोर से मुलाकात की। यह संकेत है कि उन्होंने अपनी राजनीतिक दिशा और समर्थन के लिए आई.पी.एस. रणनीतिकार और राजनीतिक सलाहकार के मार्गदर्शन को चुना है। प्रशांत किशोर का हस्तक्षेप बिहार की सियासी स्थिति को और भी दिलचस्प बना सकता है।
गोविंदगंज विधानसभा की सियासी अहमियत
गोविंदगंज विधानसभा सीट हमेशा से बिहार की राजनीति में महत्वपूर्ण रही है। यहां से अब तक जदयू ने कई बार अपनी जीत दर्ज की है। लेकिन मीना द्विवेदी के जाने के बाद इस क्षेत्र में मतदाताओं का रुख बदल सकता है। उनके समर्थक और स्थानीय जनता अब नए राजनीतिक विकल्प की ओर देख सकते हैं। इससे न केवल जदयू बल्कि एनडीए गठबंधन को भी रणनीतिक चुनौती का सामना करना पड़ेगा।