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पंचांग 5 सितंबर 2025: शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ अवसर, जानें पूजा का शुभ समय और राहुकाल

पंचांग 5 सितंबर 2025: शुक्र प्रदोष व्रत का शुभ अवसर, जानें पूजा का शुभ समय और राहुकाल

5 सितंबर 2025 को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि और शुक्र प्रदोष व्रत है। प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा शाम 06:50 से 07:59 बजे तक प्रदोष काल में करना शुभ माना गया है। इस दिन पूजा में जलाभिषेक, फूल, बेलपत्र और मंत्रों का जाप करना चाहिए।

आज का पंचांग: 5 सितंबर 2025, शुक्रवार को भाद्रपद शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि है और इस दिन शुक्र प्रदोष व्रत भी रखा जाएगा। प्रदोष काल शाम 06:50 से 07:59 बजे तक रहेगा, जो पूजा के लिए सबसे शुभ माना गया है। इस दिन स्नान-ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर भगवान शिव की पूजा करें, जिसमें जलाभिषेक, फूल, अक्षत, भांग-धतूरा, बेलपत्र अर्पित करें। साथ ही शिव चालीसा और मंत्रों का जाप करें और व्रत की कथा सुनें।

5 सितंबर 2025 के शुभ मुहूर्त

  • ब्रह्म मुहूर्त- सुबह 04:52 से 05:38 तक।
  • संध्या मुहूर्त- सुबह 05:15 से 06:24 तक।
  • अभिजीत मुहूर्त- दोपहर 12:12 से 01:02 तक।
  • प्रदोष काल की पूजा का शुभ मुहूर्त- शाम 06:50 से 07:59 तक।

राहुकाल 5 सितंबर 2025

  • दिल्ली- सुबह 10:45 से दोपहर 12:20 तक।
  • मुंबई- दोपहर 11:04 से 12:37 तक।
  • चंडीगढ़- सुबह 10:46 से दोपहर 12:22 तक।
  • लखनऊ- सुबह 10:31 से दोपहर 12:05 तक।
  • भोपाल- सुबह 10:45 से दोपहर 12:19 तक।
  • कोलकाता- सुबह 10:02 से दोपहर 11:35 तक।
  • अहमदाबाद- दोपहर 11:04 से 12:38 तक।
  • चेन्नई- सुबह 10:35 से दोपहर 12:08 तक।

सूर्योदय और चंद्रोदय

  • सूर्योदय- 06:24।
  • सूर्यास्त- 06:50।
  • चंद्रोदय- 05:17।
  • चंद्रास्त- 04:48 (6 सितंबर को)।

प्रदोष काल में पूजा की विधि

प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा प्रदोष काल में करना अत्यंत शुभ माना जाता है। 5 सितंबर को यह समय शाम 06:50 से शुरू होकर 07:59 तक रहेगा। इस समय स्नान-ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करके पूजा आरंभ करना चाहिए।

पूजा में भगवान शिव को फूल, अक्षत, जल, भांग, धतूरा और बेलपत्र अर्पित करना चाहिए। यदि संभव हो तो शिवलिंग का जलाभिषेक भी करना चाहिए। इसके बाद शिव चालीसा और मंत्रों का जप करना शुभ माना जाता है। पूजा के दौरान प्रदोष व्रत की कथा का पाठ करना भी परंपरा का हिस्सा है।

पूजा के अंत में भगवान शिव की आरती का पाठ करना चाहिए। इसके बाद प्रसाद का वितरण किया जाता है। आचार्य इंदु प्रकाश के अनुसार, इस दिन की पूजा और व्रत से परिवार में सुख-शांति और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

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