राजस्थान एसओजी ने हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती में ब्लूटूथ से नकल कराने वाले दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है। जांच में खुलासा हुआ कि गैंग ने लाखों रुपए लेकर अभ्यर्थियों को पास कराया और मास्टरमाइंड की गिरफ्तारी के बाद पूरी साजिश बेनकाब हुई।
जयपुर: राजस्थान में सरकारी नौकरियों में लगातार हो रहे फर्जीवाड़े पर एसओजी की कार्रवाई तेज हो गई है। हाल ही में हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा में हुए बड़े घोटाले का पर्दाफाश करते हुए एसओजी ने दो अभ्यर्थियों को गिरफ्तार किया है। ये अभ्यर्थी ब्लूटूथ गैंग से जुड़कर लाखों रुपये खर्च कर परीक्षा में नकल कर पास हुए थे। जांच से यह भी स्पष्ट हुआ है कि पिछले कुछ वर्षों में अधिकांश भर्तियों में संगठित तरीके से नकल माफिया सक्रिय रहे हैं।
हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती में ब्लूटूथ नकल कांड
हाईकोर्ट एलडीसी भर्ती परीक्षा को अब तक एक पारदर्शी परीक्षा माना जाता था, लेकिन एसओजी की जांच में इसकी सच्चाई सामने आ गई है। दो अभ्यर्थियों ने ब्लूटूथ गैंग से संपर्क कर चार-चार लाख रुपये में नकल कराने का सौदा किया था। गैंग के जरिए उन्हें प्रश्नों के उत्तर उपलब्ध कराए गए और इसी आधार पर दोनों उम्मीदवार चयनित हो गए।
एसओजी ने जांच में पाया कि इस परीक्षा में भी वही पैटर्न अपनाया गया जो अन्य बड़ी परीक्षाओं में देखने को मिला था। यानी पेपर हल करने के लिए गैंग ने तकनीकी उपकरणों और ब्लूटूथ के जरिए उत्तर उपलब्ध कराए। अब मामले के सामने आने से भर्ती की विश्वसनीयता पर सवाल उठने लगे हैं।
सरगना की गिरफ्त से हाईकोर्ट भर्ती में नकल का पर्दाफाश
एसओजी ने पूर्व में कई नकल माफियाओं और पेपर लीक गिरोह के सरगनाओं को पकड़ा है। इन्हीं में से एक पौरव कालेर नामक आरोपी वर्तमान में जयपुर जेल में बंद है। कालेर से पूछताछ के दौरान हाईकोर्ट भर्ती में भी धांधली की जानकारी मिली थी। उसने कबूल किया कि उसकी गैंग ने एलडीसी परीक्षा में कई अभ्यर्थियों को नकल कराई थी।
यही खुलासा आगे चलकर कई गिरफ्तारियों का आधार बना। कालेर ने बताया था कि भर्ती में शामिल अभ्यर्थियों को ब्लूटूथ के जरिए सीधे उत्तर दिए गए थे। इस बयान के बाद एसओजी ने जांच तेज की और दो अभ्यर्थियों को पकड़ने में सफलता हासिल की।
गिरफ्तार हुए दोनों अभ्यर्थी
एसओजी एडीजी वीके सिंह के अनुसार गिरफ्तार आरोपियों में नागौर निवासी रामप्रकाश जाट और हनुमानगढ़ के सुनील बिश्नोई शामिल हैं। दोनों ने 2023 में आयोजित एलडीसी भर्ती परीक्षा में भाग लिया था और ब्लूटूथ गैंग की मदद से चयनित हो गए थे। रामप्रकाश का परीक्षा केंद्र नागौर में था जबकि सुनील की परीक्षा हनुमानगढ़ में हुई थी।
दोनों अभ्यर्थियों को नकल कराने में पौरव कालेर की गैंग का हाथ था। खास बात यह है कि आरोपी रामप्रकाश पहले भी ईओ-आरओ भर्ती परीक्षा में नकल प्रकरण में पकड़ा जा चुका है। यानी यह कोई पहली बार नहीं था जब उसने संगठित गिरोह से सांठगांठ की थी।
गिरफ्तारी के डर से फरार चल रहे थे आरोपी
पौरव कालेर की गिरफ्तारी के बाद जब उसने नकल से जुड़े अभ्यर्थियों के नाम बताने शुरू किए, तो कई उम्मीदवार अपनी नौकरी छोड़कर फरार हो गए। इन्हीं में से रामप्रकाश जाट और सुनील बिश्नोई भी शामिल थे। दोनों लगभग छह से सात महीने तक ड्यूटी से गायब रहे।
रामप्रकाश की पोस्टिंग उदयपुर की पोक्सो कोर्ट में थी, जबकि सुनील को हनुमानगढ़ जिला एवं सेशन न्यायालय में नियुक्ति मिली थी। लेकिन गिरफ्तारी के डर से दोनों अपनी ड्यूटी से नदारद रहे। अब एसओजी ने इन्हें गिरफ्तार कर लिया है और अन्य संदिग्ध अभ्यर्थियों पर भी शिकंजा कसने की तैयारी की जा रही है।