CJI बी आर गवई ने आदेश दिया है कि 11 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में सीनियर एडवोकेट अब किसी भी केस का मौखिक उल्लेख नहीं कर सकेंगे। यह अवसर अब जूनियर वकीलों को मिलेगा।
CJI Notice: मुख्य न्यायाधीश (CJI) भूषण रामकृष्ण गवई ने सुप्रीम कोर्ट की कार्यप्रणाली में एक महत्वपूर्ण बदलाव करते हुए घोषणा की है कि अब उनकी अदालत में कोई भी सीनियर एडवोकेट मुकदमे का उल्लेख नहीं कर सकेगा। यह व्यवस्था 11 अगस्त 2025 से लागू होगी। इस फैसले के पीछे मुख्य उद्देश्य जूनियर वकीलों को मंच देने और उन्हें मुकदमों के उल्लेख का अवसर प्रदान करना है।
नोटिस जारी करने का निर्देश
6 अगस्त 2025 को सीजेआई गवई ने कोर्ट मास्टर को स्पष्ट निर्देश दिए कि इस विषय में तत्काल नोटिस जारी किया जाए। उन्होंने कहा कि अब से किसी भी वरिष्ठ अधिवक्ता को यह अनुमति नहीं दी जाएगी कि वह उनके समक्ष किसी मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने या उसकी सुनवाई के लिए मौखिक अनुरोध करे।
सिंघवी का जवाब: यदि सभी पर लागू होता है, तो कोई आपत्ति नहीं
सीजेआई के निर्देश के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी अदालत में मौजूद थे। उन्होंने मामले का उल्लेख करना चाहा, लेकिन सीजेआई ने स्पष्ट कहा कि अब से सीनियर एडवोकेट्स को यह अनुमति नहीं दी जाएगी। इस पर सिंघवी ने जवाब दिया, "अगर यह नियम सभी वरिष्ठ वकीलों पर समान रूप से लागू होता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है।"
सीजेआई ने दोहराया कि यह नियम विशेष रूप से उनकी अदालत में लागू होगा। अन्य न्यायाधीश इस व्यवस्था को अपनाते हैं या नहीं, यह उनके विवेक पर निर्भर करता है।
पूर्व सीजेआई ने बंद की थी मौखिक उल्लेख की व्यवस्था
गौरतलब है कि पूर्व मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के कार्यकाल में वकीलों द्वारा मामलों को मौखिक रूप से उल्लेख करने की प्रथा को बंद कर दिया गया था। उस समय निर्देश दिया गया था कि अगर किसी वकील को अपने मामले को तत्काल सूचीबद्ध कराना है तो वह ईमेल या लिखित अनुरोध के माध्यम से कोर्ट को सूचित करे।
सीजेआई गवई ने इस व्यवस्था को वापस शुरू किया था लेकिन अब उन्होंने उसमें संशोधन करते हुए सीनियर एडवोकेट्स को इससे अलग कर दिया है। अब यह मौका सिर्फ जूनियर वकीलों को दिया जाएगा ताकि उन्हें भी सुप्रीम कोर्ट में अपनी बात रखने और अनुभव प्राप्त करने का अवसर मिले।
वकालत पेशे में वरिष्ठता और अवसर का संतुलन
यह निर्णय वकालत पेशे में अवसर की समानता को बढ़ावा देने वाला है। लंबे समय से यह धारणा रही है कि सुप्रीम कोर्ट में वरिष्ठ वकीलों को अधिक महत्व और मंच मिलता है जबकि जूनियर वकीलों को अवसर नहीं मिल पाता। इस नई व्यवस्था से जूनियर वकीलों को न्यायिक प्रक्रिया में सक्रिय भागीदारी करने का अवसर मिलेगा।
क्या होता है 'मामले का उल्लेख'
सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही की शुरुआत में वकील अक्सर अपने मुकदमों को तत्काल सूचीबद्ध करने की मांग करते हैं। इसे ही 'मामले का उल्लेख' (mentioning of the matter) कहा जाता है। यह प्रक्रिया मुख्य रूप से चीफ जस्टिस की पीठ के समक्ष की जाती है। इस दौरान वकील यह बताते हैं कि क्यों किसी विशेष मामले को जल्द सुना जाना चाहिए।
सीजेआई गवई के अनुसार, अब यह प्रक्रिया सीनियर एडवोकेट्स के लिए बंद कर दी गई है और इसकी जिम्मेदारी जूनियर वकीलों को दी गई है।