प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेजी पकड़ चुकी हैं। इसी बीच भाजपा की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) ने अकेले चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी है। इस फैसले ने भाजपा में सुगबुगाहट का माहौल पैदा कर दिया है।
लखनऊ: उत्तर प्रदेश पंचायत चुनाव 2025 के दृष्टिगत राजनीति का पारा लगातार चढ़ता जा रहा है। इस बीच, राष्ट्रीय लोकदल (RLD) ने अकेले चुनाव लड़ने का एलान कर दिया है, जिससे भाजपा नेतृत्व में हलचल मच गई है। RLD प्रमुख जयंत चौधरी की अगुवाई में पार्टी ने स्थानीय कार्यकर्ताओं और संगठनात्मक ताकत पर भरोसा जताया है। भाजपा अब जयंत चौधरी से बातचीत की तैयारी कर रही है ताकि पंचायत चुनाव में सहयोगी गठबंधन के विकल्पों पर अंतिम निर्णय लिया जा सके।
RLD का आत्मनिर्भर रुख
प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियों के बीच, RLD ने स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी गठबंधन में शामिल हुए बिना अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। RLD पंचायत चुनाव समिति के प्रदेश संयोजक डॉ. कुलदीप उज्ज्वल ने कहा, “स्थानीय स्तर पर संगठन मजबूत होगा तो विधानसभा चुनावों में सफलता आसान होगी। हमारा फोकस पंचायत चुनाव में मजबूत संगठन और निर्णायक भूमिका निभाने पर है।”
डॉ. उज्ज्वल का मानना है कि पंचायत चुनाव केवल स्थानीय निकायों का चुनाव नहीं, बल्कि भविष्य के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के लिए आधार तय करते हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी स्थानीय कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी और grassroots नेटवर्क के दम पर जीत की दिशा में अग्रसर होगी।
RLD के फैसले के बाद भाजपा में खलबली
भाजपा ने RLD के फैसले के बाद जिला और क्षेत्रीय स्तर पर पंचायत चुनाव की रणनीति को तेज कर दिया है। पार्टी ने संयोजक और सह संयोजक नियुक्त कर वोटर लिस्ट को दुरुस्त करने का काम भी तीव्र किया है। भाजपा का लक्ष्य इस बार भी अधिकतर जिला पंचायत अध्यक्ष और ब्लॉक प्रमुख पदों पर विजय हासिल करना है।
भाजपा के क्षेत्रीय अध्यक्ष सत्येंद्र सिसोदिया ने कहा कि गठबंधन पर अभी अंतिम निर्णय नहीं हुआ है। “शीर्ष नेतृत्व RLD प्रमुख जयंत चौधरी से बातचीत कर अंतिम निर्णय लेगा। हम स्थिति पर नजर बनाए हुए हैं और रणनीति उसी अनुसार तय होगी। RLD का अकेले चुनाव लड़ने का रुख भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि यह उनकी रणनीति को प्रभावित कर सकता है और स्थानीय स्तर पर वोट शेयर में असंतुलन पैदा कर सकता है।
RLD और भाजपा के बीच आगामी बातचीत को लेकर राजनीतिक माहौल में असमंजस है। यह चर्चा न केवल पंचायत चुनाव की दिशा तय करेगी बल्कि अगले विधानसभा चुनावों में भी गठबंधन की संभावनाओं पर असर डाल सकती है।