शिवभक्तों के लिए श्रीलंका सिर्फ एक पड़ोसी देश नहीं बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा का पड़ाव भी है। यहां भगवान शिव के पांच ऐसे मंदिर मौजूद हैं, जिन्हें 'पंच ईश्वरम' के नाम से जाना जाता है। ये सभी मंदिर श्रीलंका के अलग-अलग हिस्सों में स्थित हैं और इनसे जुड़ी कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। चलिए जानते हैं इन रहस्यमयी शिवधामों के बारे में विस्तार से।
त्रिंकोमाली का कोनेश्वरम मंदिर
श्रीलंका के पूर्वी छोर पर बसे त्रिंकोमाली शहर में स्थित है कोनेश्वरम मंदिर। यह मंदिर स्वामी रॉक नामक स्थान पर एक ऊँची चट्टान पर बना हुआ है और इसे 'दक्षिण का कैलाश' भी कहा जाता है। इस मंदिर में भगवान शिव की लगभग 32 फीट ऊंची प्रतिमा स्थापित है। मंदिर की वास्तुकला में तमिल शैव परंपरा की झलक साफ दिखाई देती है। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने लंका विजय के दौरान यहां शिवलिंग की स्थापना की थी।
चिलाव का मुनेश्वरम मंदिर
श्रीलंका के पश्चिमी तट पर चिलाव शहर में स्थित मुनेश्वरम मंदिर का संबंध सीधे-सीधे रामायण से जोड़ा जाता है। मान्यता है कि रावण वध के बाद भगवान राम ने ब्रह्म हत्या के दोष से मुक्ति पाने के लिए यहां भगवान शिव की आराधना की थी। यह मंदिर वार्षिक Munneswaram Festival के लिए भी प्रसिद्ध है जिसमें हजारों की संख्या में भक्त हिस्सा लेते हैं। यह महोत्सव अगस्त-सितंबर के बीच मनाया जाता है।
मन्नार का केथीश्वरम मंदिर
उत्तर पश्चिम श्रीलंका के मन्नार जिले में स्थित है केथीश्वरम मंदिर, जिसे तिरुकेतीश्वरम भी कहा जाता है। यह मंदिर शिवभक्ति और प्राचीन इतिहास का अद्भुत संगम है। कहा जाता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी यहीं की थीं और उनके पिता ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। एक और मान्यता के अनुसार, यहां महर्षि भृगु ने तपस्या की थी। कुछ शास्त्रों में यह उल्लेख मिलता है कि नवग्रहों में से केतु ग्रह ने भी यहां भगवान शिव की उपासना की थी, जिससे इस स्थान का नाम 'केथीश्वरम' पड़ा।
दक्षिणी श्रीलंका का तकोंणेश्वरम मंदिर
तकोंणेश्वरम मंदिर श्रीलंका के दक्षिणी तटीय इलाके में स्थित है और इसका उल्लेख रामायण व महाभारत जैसे महाकाव्यों में भी किया गया है। यह मंदिर शिवभक्ति के प्राचीन केंद्रों में गिना जाता है। समुद्र तट के किनारे स्थित यह मंदिर स्थापत्य कला का भी सुंदर उदाहरण है। यहां आने वाले श्रद्धालु समुद्र की लहरों के साथ भगवान शिव के दर्शन का आनंद लेते हैं।
जाफना के पास नागुलेश्वरम मंदिर
उत्तर श्रीलंका के जाफना जिले में स्थित नागुलेश्वरम मंदिर 'पंच ईश्वरम' में से अंतिम है। यह मंदिर कीरीमलाई क्षेत्र में बना है और इसके पास ही प्रसिद्ध कीरीमलाई झरने हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना बहुत प्राचीन काल में हुई थी और यह क्षेत्र का सबसे पुराना शिवमंदिर है। इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि नागों ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। इसका नाम भी इसी से जुड़कर 'नागुलेश्वरम' पड़ा।
विदेशी धरती पर भारतीय आस्था की पहचान
श्रीलंका में स्थित इन पंच ईश्वरम मंदिरों को देखकर यह साफ महसूस होता है कि शिवभक्ति की लहर सिर्फ भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों तक इसकी गूंज है। ये मंदिर न केवल धार्मिक आस्था का केंद्र हैं बल्कि सांस्कृतिक और ऐतिहासिक दृष्टिकोण से भी बेहद खास हैं। भारत से हर साल हजारों श्रद्धालु श्रीलंका जाते हैं और इन मंदिरों में भगवान शिव के दर्शन कर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं।